
शक एक ऐसी बीमारी है जो किसी का भी घर उजाड़ सकती है, इसलिए कहा गया है की शक नहीं करना चाहिए. लेकिन इंसान शक कर ही लेता है, कुछ ऐसा ही रमती देवी के साथ हुआ. रमती देवी 40 साल की हो चुकी थी और उन्हें तीन बच्चे भी थे, रमती देवी शुरू से सुन्दर नहीं थी, और यह उन्हें पता था की वह सुन्दर नहीं हैं, इसके उलट उनका पति राज कुमार अपने नाम के अनुरूप ही राज कुमार था, राज कुमार और रमती देवी की शादी उनके घरवालों ने तय किया था, राजकुमार ने शादी से पहले कभी रमती देवी को नहीं देखा था, जहाँ एक और रमती देवी रंग से काली थी वहीँ राज कुमार रंग से दूध की तरह गोरा, लम्बा और पूरा स्मार्ट था.वाकई जवानी के दिनों में वह पूरा राज कुमार लगता था. नाम भी राज कुमार, सुहागरात के समय जब राज कुमार ने अपनी पत्नी का घूँघट उठाया तो वह भचौंका रह गया, उसे उम्मीद नहीं थी की उसे ऐसी बीवी मिलेगी, वहीँ रमति देवी राज कुमार को देख सन्न रह गयी, क्यूंकि उसे उम्मीद नहीं थी की उसे इतना सुन्दर पति मिलेगा. वह रात थी और आज की रात है, राज कुमार के प्यार में कभी कमी नहीं आयी क्योँकि वह अपनी किस्मत में रमती देवी को ही लिखा हुआ माना, इसलिए वह रमती को ही जी जान से प्यार करने लगा था, लेकिन रमती देवी को हमेशा यह डर लगा रहा की राज कुमार उससे प्यार नहीं करता, जरूर उसकी जिंदगी में कोई ना कोई है, इसी शक की वजह से राज कुमार ज्यादा समय ऑफिस में ही बिताता था, लेकिन रमती देवी सोचती की उसका पति किसी और के साथ भी प्यार का संबंध बनाये हुए है, भला यह शक राज कुमार कैसे दूर करता, यही वजह थी की दोनों एक साथ एक ही घर के छत के निचे रहते थे लेकिन दो अजनबियों की तरह. शुरू शुरू में तो राज कुमार अपनी पत्नी को प्यार से समझता भी था फिर उसे समझाना भी छोड़ दिया,और वह सिर्फ काम में मन लगाने लगा, जिसका प्रभाव यह हुआ की उसे ऑफिस में और काम मिलने लगा और वह पूरी ईमानदारी से काम करता रहा, सभी को यह लगता की राज कुमार काम करने के लिए ही पैदा लिया है, बात भी सही थी, राज कुमार को घर से ज्यादा अच्छा ऑफिस में ही लगता था, और वह काम के जरिये घर के झगडे को भुलाने की कोशिश करता था, पहले तो राज कुमार कुछ बोल भी देता था अब तो वह कुछ बोलता भी नहीं था, बच्चे बड़े हो चुके थे इसलिए वह घर में शांत ही रहता था. जबकि रमती देवी इसके उलट यह सोचती की उसका पति उसे प्यार नहीं करता,
क्या ये प्यार है
एक सच्चे प्यार की कहानी
कुछ इस कदर दिल की कशिश
प्यार में सब कुछ जायज है.
उससे बात नहीं करता, अब तो राज कुमार की उम्र 50 साल हो रही थी, अब भला इस उम्र में वह क्या प्यार करेगा? लेकिन रमती देवी के दिल में जो एक बार शक का कीड़ा बैठ गया वह गया ही नहीं और वह हमेशा सोचती की उसके पति का चक्कर किसी और के साथ है इसलिए वह घर में समय नहीं देता, उससे प्यार नहीं करता, खैर क्या कर सकते हैं, धीरे धीरे वक्त बीतता चला गया,राज कुमार ने अपनी बड़ी बेटी की भी शादी कर ली, और अब वह छोटी बेटी की शादी की तैयारी में जुट गया, और कुछ दिनों के बाद उसने छोटी बेटी की भी शादी कर दी अब घर सिर्फ वह उसकी पत्नी और छोटा बेटा रह गया थे, एक शाम राज कुमार ऑफिस से रिटायर्ड हो गए अब वह पूरा दिन घर में ही रहते थे, और अपनी पत्नी की बातें सुना करते थे, एक दिन अचानक से राज कुमार ने रमती को जोर सा चांटा मार दिया, जिसे देख कर रमती देवी सन्न रह गयी और उसने कहा की यह इस बात प्रमाण है की वह उससे प्यार नहीं करते, इस पर राज कुमार ने कहा, सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी शक की वजह से मैं ऑफिस में काम किया करता था,अब तो घर में ही रहता हूँ कहीं जाता आता नहीं हूँ मुझसे कोई मिलने भी नहीं आता अब किस नबात का शक कर रही है, यह सुन कर रमति देवी सोच में डूब गयी और उसे आज पहली बार इतने सालो के बाद अंदाजा हुआ की उसकी शक की वजह से उसने खुद ही अपनी जिंदगी नर्क बना ली थी, अब वह कभी शक नहीं की और ख़ुशी ख़ुशी अपने पति के साथ जीवन यापन करने लगी……..
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